करवा चौथ की कहानी : क्या आपको पता है कि करवा चौथ क्यों मनाया जाता है तो चलिए जानते हैं

करवा चौथ की कहानी : क्या आपको पता है कि करवा चौथ क्यों मनाया जाता है तो चलिए जानते हैं

Oct 10 2025 04:15 pm

Editor: Admin | Location: India

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आज यानि 10 अक्टूबर 2025 करवा चौथ है सभी महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए निर्जल व्रत रखती है और चांद निकलने पर ही अपना व्रत तोड़ती है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि करवा चौथ कब से शुरू की गई और इसके पीछे की कहानी क्या है तो चलिए हम बताते हैं कि करवा चौथ कब से शुरू की गई.


प्राचीन कथाओं के अनुसार एक साहूकार की बेटी थी और उसके साथ बैठे थे बेटी का नाम करवा था, करवा अपना मायके करवा चौथ का व्रत रखने के लिए आई थी ताकि वह अपने भाभियों के साथ मिलकर करवा चौथ का व्रत रखें, दिन भर की निर्जल उपवास के बाद भूख प्यास सेउसकी शक्ल मुरझा गई थी.

उसके भाइयों को उसका यह हाल देखा नहीं गया, भाइयों ने सोचा किचंद्रमा को निकालने में अभी काफी समय बाकी है, तो कुछ ऐसा उपाय किया जाए की बहन व्रत को तोड़कर खाना खा ले, सभी भाइयों ने मिलकर एक योजना बनाई और गांव के दर पीपल के पेड़ पर दीपक जलाकर इस तरीके से रख दिया कि दूर से देखने पर वह चांद जैसा लग रहा था, उसके बाद वह अपनी बहन से कहा कि बहन चांद निकल आया है अब तुम अर्थ देकर भोजन कर सकती हो.

बहन ने छत पर जाकर देखा तो वह जलता हुआ दीपक बिल्कुल चांद जैसा लग रहा था और बहन ने उसे देखकर अपना व्रत तोड़ लिया और मुंह में पहला टुकड़ा डालते ही उसकी छींक आ गई, फिर जैसे ही उसने दूसरा टुकड़ा मुंह में डाला तो बोल निकल आ गया और तीसरा टुकड़ा डालते ही उसके पति की मृत्यु की समाचार मिली.

गलत तरीके से व्रत तोड़ने की बात उसके भाभी और भाई ने बताई तब करवाने अपने पति का दाह संस्कार नहीं होने दिया और कहा कि मैं अपने पति को पुनः जीवित करूंगी.

1 साल तक करवा अपने पति के पास बैठी रही और उसकी देखभाल करती रही अगले साल की जब करवा चौथ आई तो उसने अपने भाभियों से निवेदन किया यम सूई ले लो, पिय सूई दे दो, मुझे भी अपनी जैसी सुहागिन बना दो, सभी भाभियों ने उसकी बात डालती रही लेकिन अंत में सबसे छोटी भाभी का दिल फिसल गया और वह अपनी ननद की तपस्या देखकर अपनी छोटी उंगली कोचढ़कर उसे अमृत की बूंद करवा के पति के मुंह में डाल दी और उसका पति श्री गणेश श्री गणेश कहता हुआ जीवित हो गया इस तरह करवा का सुहाग उसे वापस मिल गया तभी से सुहागिन महिलाएं करवा चौथ के व्रत को विधि विधान से मनाती है.

करवा चौथ को लेकर और भी कई सारी कथाएं हैं जैसे की महाभारत के समय जब अर्जुन तपस्या के लिए नीलगिरी पर्वत पर गए थे तो काफी समय भी जाने के बाद नहीं लौटे तो उनकी पत्नी द्रोपती चिंतित हो गई तभी भगवान कृष्ण ने उन्हें करवा चौथ के व्रत करने की सलाह दी थी और इसकी कथा भी सुनाई थी.


नोट: करवा चौथ की यह कहानी सोशल मीडिया और गूगल पर दिए गए जानकारी के हिसाब से बनाई गई है, कहीं-कहीं पर जानकारी गलत भी हो सकती है इसलिए इसे अच्छी तरीके से जांच कर ले