चमार जाति की उत्पत्ति और उनका इतिहास | जानिए चमार जाति के बारे में पूरी जानकारी
Chamar Caste History: चमार जाति की उत्पत्ति के कई सारे अलग-अलग मान्यताएं और ऐतिहासिक कथा है, चमार शब्द की उत्पत्ति संस्कृत के चमत्कार शब्द से हुई है जिसका अर्थ है चमड़े का काम करने वाला या चमड़े से वस्तुओं को बनाने वाला व्यक्ति को चमार कहा जाता है.
मृत पशुओं के चमड़े का काम करने की वजह से हिंदू जाति व्यवस्था में इन्हें अछूत माना जाता था जिसके कारण इस जाति के लोग अक्सर गांव के बाहर बस्तियों में रहा करते थे आज के आधुनिक भारत में इन्हें अनुसूचित जाति या दलित के रूप में बाटाँ गया है.
चमार समुदाय को लेकर इतिहासकारों में अलग-अलग रहा है दावा
प्राचीन ग्रंथ ऋग्वेद और मनुस्मृति में चंद्रकारों का उल्लेख मिलता है जिसमें इस जाति के लोग कुशल कारीगर के रूप में जाने जाते थे जो चमड़े से जुड़ी वस्तुओं को बनाया करते थे, कुछ इतिहासकार इन्हे चंवर वंश से भी जोड़ते हैं, 1910 के आसपास श्री चावर पुराण ग्रंथ को प्रकाशित किया गया था जिसमें दावा किया गया था कि चमार जाति के लोग मूल रूप से क्षेत्रीय शासक हुआ करते थे इस ग्रंथ के अनुसार राजा चामुंडा राय के वंशजो को भगवान विष्णु के द्वारा शराप दिए जाने के कारण उनकी सामाजिक स्थिति में गिरावट आ गई थी.
चमार जाति के उत्पत्ति का कोई ठोस सबूत उपलब्ध नहीं है, जिस ऐतिहासिक और सामाजिक संदर्भों में समझा जाए, इतिहासकार अलग-अलग दावा करते हैं, जिसके कारण यह स्पष्ट नहीं हो पता है कि चमार जाति की उत्पत्ति कहां से हुई है.
नोट: यह लेख का उद्देश्य किसी जातिगत व्यक्ति को ठेस पहुंचाना नहीं है बल्कि उनके बारे में सही जानकारी देना है ऊपर दिए गए सभी जानकारी सोशल मीडिया की मदद से बनाई गई है
